Haryana politics: दिल्ली में 5 फरवरी को 70 सीटों के लिए प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर अब हरियाणा के नेताओं ने दिल्ली में डेरा डालना शुरू कर दिया है और अब आने वाले दिनों में हरियाणा के बड़े नेता दिल्ली में ही हरियाणा के छोरे अरविंद केजरीवाल को ललकारते हुए नजर आएंगे। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल हरियाणा के हिसार जिला से संबंध रखते हैं और े दिल्ली के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और आप यह चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ रही है। दिल्ली के चुनावों को लेकर मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी। 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को परिणाम आएंगे। चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही हरियाणा भाजपा के नेता भी सक्रिय हो गए हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर रणनीतिकार की भूमिका में नजर आएंगे, तो हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की स्टार प्रचारक के रूप में अहम भूमिका रहेगी। इसके अलावा प्रदेश के भाजपा के सभी 5 सांसदों की भी दिल्ली चुनाव को लेकर ड्यूटी लगा दी गई है। फरीदाबाद से भाजपा के सांसद और केंद्र में मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर की छत्तरपुर एवं कालका सीट पर ड्यूटी लगी है और उन्होंने प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। इसी तरह से हरियाणा भाजपा के प्रभारी सतीश पूनिया, शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा, पंचायत एवं विकास मंत्री कृष्ण लाल पंवार, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने दिल्ली में दो दिन पहले हुई विधानसभा चुनाव की विशेष बैठक में हिस्सा लिया। चुनाव में शिक्षा मंत्री ढांडा की ड्यूटी हरी नगर, तिलक नगर एवं राजौरी गार्डन में लगाई गई है।
गौरतलब है कि दिल्ली में इस साल 5 फरवरी को चुनाव होंगे और 8 फरवरी को नतीजे आ जाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली भौगोलिक नजरिए से सबसे अधिक हरियाणा के साथ सटा हुआ है। हरियाणा के 11 जिले तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं। इसके अलावा जातीय पक्ष के लिहाज से भी दिल्ली के समीकरण मायने रखते हैं। दिल्ली में काफी संख्या में पंजाबी समुदाय, वैश्य समुदाय एवं ब्राह्मण समुदाय के मतदाता हैं, तो बाहरी दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में जाट मतदाता भी निर्णायक भूमिका मेंं हैं। इन मतदाताओं पर हरियाणा भाजपा के कई बड़े नेताओं का प्रभाव है। सियासी पर्यवेक्षकों का कहना है कि दिल्ली के चुनाव में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह एवं उनकी बेटी तथा कैबिनेट मंत्री आरती राव, केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर, कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, राज्य मंत्री राजेश नागर, राज्यसभा की सदस्य किरण चौधरी एवं उनकी बेटी श्रुति चौधरी, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यू, राज्य मंत्री गौरव गौतम भी असरकारक भूमिका में रहेंगे। खास बात यह है कि केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर तो दिसंबर माह से ही दिल्ली में प्रचार अभियान को गति दिए हुए हैं। उन्होंने पिछले दिनों विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर एक नया अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत पार्टी ने दिल्ली के सभी कार्यकर्ताओं के घर पर पार्टी के झंडे, नेम प्लेट, गले में पटका और आई. कार्ड वितरित करने की योजना बनाई है। इसी तरह से केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने दिल्ली के छतरपुर में अभियान का शुभारंभ किया। इसी तरह से गुज्जर ने दिल्ली की कालका व महरौली सीट पर भी प्रचार अभियान किया। इस मौके पर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ हैं और उनका सम्मान करना पार्टी की प्राथमिकता है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए पहुंचे कैबिनेट मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि 8 फरवरी को दिल्ली को मिलेगी डबल इंजन सरकार और इसके बाद राजधानी के विकास को रफ्तार मिलेगी तथा दिल्ली की जनता को केंद्र की जनहित योजनाओं का उपहार भी मिलेगा।
यह रहा है कि पिछले पांच विधानसभा चुनाव का परिणाम
भारतीय निर्वाचन आयोग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई। उस चुनाव में भाजपा को 20 सीटों पर जीत मिली तो एन.सी.पी. का एक विधायक चुना गया तो एक आजाद विधायक निर्वाचित हुआ। कांग्रेस ने पांच साल तक स्थिर सरकार चलाई और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। इसी तरह से 2008 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से बहुमत की सरकार बनाई। कांग्रेस के 43 विधायक चुने गए तो भाजपा के 23, बसपा के 3 एवं लोक जन शक्ति पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली। अन्ना आंदोलन के दौरान सुर्खियो में आए पूर्व राजस्व अधिकारी अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया और पहली बार 2013 के चुनावी समर में ताल ठोक दी। दिल्ली की जनता ने चौंकाने वाले समीकरण बना दिए। भाजपा के 31 विधायक चुने गए, पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस के 8 विधायक निर्वाचित हुए तो शिरोमणि अकाली दल को एक सीट पर जीत मिली। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। गठबंधन की गांठें कुछ ही समय में खुल गई और इसके बाद 2015 में मध्यावधि चुनाव हुए। उस चुनाव में आम आदमी पार्टी के 67 विधायक चुने गए तो भाजपा को 3 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई और पूरे पांच साल तक चलाई। इसी तरह से 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक चुने गए, जबकि भाजपा को 8 सीटों पर जीत मिली। उस चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला और आम आदमी पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही।
26 वर्षों से सत्ता से दूर है भाजपा
खास बात यह है कि दिल्ली में पिछले करीब 11 वर्षों से आम आदमी पार्टी सत्ता में है। इससे पहले साल 1998 से लेकर 2013 तक करीब 15 वर्षों तक कांग्रेस सत्ता में रही। ऐसे में भाजपा 1998 के बाद से करीब 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से दूर है, मगर इस दौरान संसदीय चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव की तुलना में बेहतर रहा है। वर्तमान में भी दिल्ली की सातों संसदीय सीटों पर भाजपा के सांसद हैं। दिल्ली में भाजपा एक बार सरकार बनाने में सफल रही है। साल 1993 के चुनाव में भाजपा को 49 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस के 14 विधायक चुनकर आए थे। 1993 से 1998 की सरकार में भाजपा ने तीन नेता मुख्यमंत्री बनाए गए थे। 2 दिसंबर 1993 से लेकर 26 फरवरी 1996 तक 2 साल 86 दिनों तक भाजपा की ओर से मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री रहे। इसी प्रकार से 26 फरवरी 1996 से लेकर 12 अक्तूबर 1998 तक साहिब सिंह वर्मा 2 साल 228 दिनों के लिए एवं 12 अक्तूबर 1998 से लेकर 3 दिसंबर 1998 तक 52 दिनों के लिए सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली में 2013 में पहली बार अरविंद केजरीवाल 48 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। 14 फरवरी 2014 से लेकर 21 सितंबर 2024 तक वे 9 साल 218 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे। अब 107 दिनों से आतिशी मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल शीला दीक्षित का रहा है। शीला दीक्षित 15 साल 251 दिनों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
दिल्ली चुनाव में रहेगा सिरसा कनैक्शन
खास बात यह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में हरियाणा के सिरसा जिला का कनैक्शन भी रहेगा। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व विधायक मनजिंद्र सिंह मूल रूप से हरियाणा के सिरसा जिला के रहने वाले हैं। राजौरी गार्डन से दो बार विधायक रह चुके मनजिंद्र ङ्क्षसह अपने नाम के साथ सरनेम के रूप में अपने शहर सिरसा का नाम लिखते हैं। मनजिंद्र सिंह सिरसा 2013 में शिरोमणि अकाली दल से विधायक चुने गए थे तथा उस समय शिअद का भाजपा के साथ गठबंधन था। 2017 में वे भाजपा की टिकट पर राजौरी गार्डन से विधायक निर्वाचित हुए। मनजिंद्र सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और 2021 के बाद से वे भाजपा में सक्रिय हैं। इस बार वे एक बार फिर से राजौर गार्डन सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं तो दिल्ली की अन्य कई सीटों पर भी उनका प्रभाव माना जाता है। मनजिंद्र सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भरोसेमंद माना जाता है।