Haryana: जापान के सहयोग से बागवानी की बदलेगी तस्वीर
प्रदेश में होता है 12 लाख मीट्रिक टन फलों व 78 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का वार्षिक उत्पादन
Haryana news: जापान के साथ मिलकर हरियाणा बागवानी के क्षेत्र में प्रोसैसिंग, मार्कीटिंग एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों को संचालित करेगा। खास बात यह है कि गन्नौर में निर्माणाधीन 7 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली अंतर्राष्ट्रीय फल एवं सब्जी मंडी को केंद्रीत रखते हुए न केवल किसानों को प्रोसेसिंग एवं मार्कीटिंग में निपुण किया जाएगा, बल्कि किसानों को बागवानी में विविधिकरण की दिशा में भी जोड़ा जाएगा। इसको लेकर जापान इंटरनैशनल कार्पोरेशन एजैंसी के साथ हरियाणा सरकार का एक समझौता हो चुका है। परियोजना के लिए जापान इंटरनैशनल कॉपरेशन एजैंसी हरियाणा में 400 पैक हाउस बनाएगी। इस बड़ी परियोजना के लिए जे.आई.सी.ए. ने 1900 करोड़ रुपए के लंबी अवधि के ऋण के लिए समझौता प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। इस सिलसिले में जापान की एजैंसी की टीमें करनाल, सिरसा सहित हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में बागवानी के क्षेत्रों का जायजा भी ले चुकी हैं।
गौरतलब है कि हरियाणा की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। हरियाणा देश का प्रमुख गेहूं, कपास एवं धान उत्पादक राज्य है तो अब किन्नू, अमरुद, मशरुम एवं सब्जियों की भी बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। बागवानी को आधुनिक तकनीक से जोडक़र इसे विपणन क्षेत्र में मजबूत बनाने के मकसद से ही हरियाणा सरकार ने जापान इंटरनैशनल कार्पोरेशन एजैंसी के साथ एक महत्वपूर्ण परियोजना को लेकर समझौता किया है। फसल विविधिकरण की दिशा में यह प्रदेश सरकार की बड़ी पहल है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा से पिछले दिनों एक शिष्टमंडल जापान गया था और वहां की फल एवं सब्जियों की मंडियों का अध्ययन किया था। अब जे.आई.सी.ए. ने हरियाणा में कोल्ड चेन, पैक हाउस, ई-मार्केटिंग तथा इनफार्मेशन शेयरिंग, क्रॉप ई-मार्केट और डाटा कम्युनिटी प्लेटफार्म का प्रस्ताव तैयार किया है। इस सिलसिले में सिरसा के जिला बागवानी अधिकारी डा. पुष्पेंद्र बताते हैं कि जे.आई.सी.ए. के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता हो चुका है। एक खास परियोजना के जरिए किसानों को पोस्ट हार्वेसट का हिस्सा बनाया जाएगा। किसानों के फलों एवं सब्जियों के उत्पादन से लेकर उसकी प्रोसैसिंग, मार्कीटिंग, ट्रांसपोर्ट के बारे में जानकारी दी जाएगी और ऐसे में किसानों का उत्पाद एक तरह से ब्रांड बनेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल में जापान की एजैंसी की ओर से पहले से ही यह परियोजना जारी है और इसके सार्थक परिणाम भी सामने आए हैं। केरल के कोच्चि विश्वविद्यालय के सहयोग से महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल में इंटरनैट ऑफ प्लांट्स पर कार्य किया जाएगा। परियोजना का पहला चरण 2024 से 2028 तथा दूसरा चरण 2029 से 2033 तक होगा।
बागवानी में ऐसे आगे बढ़ रहा है हरियाणा
उल्लेखनीय है कि हरियाणा अब गेहूं, नरमा और सरसों उत्पादन के बाद बागवानी के क्षेत्र में आगे रहा है। बागवानी में प्रदेश लगातार लंबे कदम भर रहा है। हरियाणा में इस समय 70 हजार हैक्टेयर में बागवानी, जबकि साढ़े 4 लाख हैक्टेयर में सब्जियों की खेती की जा रही है। हरियाणा में हर साल 12 लाख मीट्रिक टन फलों, जबकि 78 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है। अब हरियाणा में किन्नू, अमरूद, आम के अलावा चीकू, लीची, बेर, आंवला, स्ट्रॉबरी, ड्रैगन फु्रट, बेबी कॉर्न जैसी फसलों की भी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बाद भी कसानों का रुझान बागवानी की तरफ बढ़ा है। खास बात यह है कि राज्य सरकार की ओर से बागवानी के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए गए हैं। सोनीपत जिले के सेरसा गांव में मसाला मंडी बनाई जा रही है। मसाला मंडी के लिए 16 एकड़ 18 मरले भूमि ग्राम पंचायत सेरसा से खरीदी गई है। गुरुग्राम में फूलों की मंडी के लिए 8.26 एकड़ भूमि सैक्टर-52ए में गुरुग्राम मैट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण से 20 वर्ष के लिए पट्टे पर ली जा रही है। पिंजौर में एच.एम.टी. क पनी की 78.33 एकड़ भूमि पर अत्याधुनिक सेब, फल तथा सब्जी मंडी की स्थापना करने के लिए 152.72 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में नई अनाज व सब्जी मंडियों के विकास एवं अपग्रेडेशन, नई सडक़ों के निर्माण और मौजूदा सडक़ों की विशेष मरम्मत पर 871.60 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। 1350 किलोमीटर लंबाई की 503 स पर्क सडक़ों का निर्माण कार्य 510 करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण किया गया है। 213 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सब्जी मंडियों 563 किलोमीटर ल बाई की 221 संपर्क सडक़ों के निर्माण कार्य 239 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न चरणों में प्रगति पर हैं।
*21 हजार हैक्टेयर में हैं किन्नू के बाग*
हरियाणा में इस समय 70 हजार हैक्टेयर में बागवानी जबकि साढ़े 4 लाख हैक्टेयर में सब्जियों की खेती की जा रही है। हर साल हरियाणा में करीब 12 लाख मीट्रिक टन फलों का जबकि 78 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है। हरियाणा में करीब 21 हजार में हैक्टेयर किन्नू, 10 हजार हैक्टेयर में आम, 13 हजार हैक्टेयर में अमरुद, 4 हजार हैक्टेयर में बेर, 2200 हैक्टेयर में आंवला, 1800 हैक्टेयर में चिकू के अलावा 119 हैक्टेयर में लीची की खेती की जा रही है। इसी प्रकार से करीब 34 हजार हैक्टेयर में आलू, 33 हजार हैक्टेयर में प्याज, 30 हजार हैक्टेयर में टमाटर, 7 हजार हैक्टेयर में गाजर, 22 हजर हैक्टेयर में गोभी, 16 हजार हैक्टेयर में मिर्च, 37 हजार हैक्टेयर में भिंडी के अलावा बड़े पैमाने पर बैंगन, मूली, लॉकी, तोरी, करेला की काश्त की जाती। इसी तरह से भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत टमाटर, प्याज, आलू, फूलगोभी, किन्नू, अमरुद, गाजर, मटर, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, हरी मिर्च, लौकी, करेला, बंदगोभी, मूली, लहसुन, हल्दी व आम को शामिल किया गया है। इस योजना के अंतर्गत 4187 किसानों को करीब 10 करोड़ 12 लाख रुपए की राशि दी जा चुकी है। प्रदेश में 1 हजार किसान उत्पादक समूह बनाने की प्रक्रिया जारी है। 486 किसान उत्पादक समूह बनाए जा चुके हैं। इन समूहों की ओर से 150 इंटीग्रेटेड पैक हाऊस बनाए जाएंगे। गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 7 हजार करोड़ रुपए की लागत से एक उद्यान मार्कीट स्थापित की गई है। बागवानी तकनीकों के प्रदर्शन के लिए इस वित्तीय वर्ष में 2 नए उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाने हैं, जबकि 8 पहले बनाए जा चुके हैं। यह बदलते हुए हरियाणा की उज्ज्वल तस्वीर है।
*बागवानी के विस्तार को लेकर किसानों से मांगे गए हैं सुझाव: नायब सिंह सैनी*
इस सिलसिले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी का कहना है कि किसानों के हितों को लेकर उनकी सरकार निरंतर नई योजनाओं के साथ कदम आगे बढ़ा रही है। सरकार की ओर से प्री-बजट डिस्कशन के लिए किसानों से बागवानी के विस्तार के संदर्भ में भी सुझाव मांगे गए हैं और किसानों से मिलने वाले सुझावों को बजट में शामिल किया जाएगा। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य हैं जहां किसानों की 24 फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही हैं। मुख्यमंत्री सैनी के अनुसार सरकार ने बागवानी उत्पादकों के लिए भावांतर भरपाई योजना शुरू कर उनका जोखिम कम किया। 70.15 करोड़ रुपए की लागत से 9 नई/अतिरिक्त मंडियों के विकास कार्य पूरे किए गए हैं तथा 180 करोड़ रुपए की लागत से कई अन्य मंडियों में निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही मार्कीट फीस की चोरी रोकने के लिए मंडियों में आवक का रिकार्ड रखने की कंप्यूटरीकृत प्रणाली शुरू की गई है। फल एवं सब्जी उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने तथा उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर ताजा फल एवं सब्जियां उपलब्ध करवाने के लिए पंचकूला सैक्टर-20 तथा गुरूग्राम में किसान बाजार शुरू किए गए हैं। यही नहीं बागवानी फसलों में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा करनाल में बागवानी विश्वविद्यालय में 2020-21 में स्नातक डिग्री की शुरूआत की गई है।