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Haryana news: अब खजूर, आडू व नाशपती की खेती पर दिया जाएगा जोर

12,548 हैक्टेयर में किन्नू तो 1474 हैक्टेयर में हैं अमरुद के बाग*

*12,548 हैक्टेयर में किन्नू तो 1474 हैक्टेयर में हैं अमरुद के बाग♦

Haryana news: सिरसा में अब किसान सयाना होने लगा है। सब्जियों एवं बागवानी के जरिए किसान अब खुशहाल एवं मालामाल हो रहा है। प्रदेश में अब गेहूं एवं नरमे के सबसे अधिक उत्पादन के अलावा किन्नू उत्पादन में भी सिरसा सबसे अग्रणी जिला है। विशेष बात यह है कि सिरसा का किन्नू देशभर में मशहूर है। अब किन्नू के किसान मालामाल भी हो रहे हैं। समूचे देश में यहां का किन्नू बिकता है। अब बागवानी विभाग ने बागवानी में भी फसल विविधीकरण अपनाने की पहल की है। इस कड़ी में अब खजूर, आडू, नाशपती की खेती पर जोर दिया जाएगा। 11 किसानों ने 15 एकड़ में खजूर लगाया है। साढ़े 17 एकड़ में खजूर गाया जाएगा।

दरअसल गेहूं, कपास के उत्पादन में हरियाणा में अव्वल सिरसा के किसान अब बागवानी का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। यह एक सकारात्मक तथ्य है कि सिरसा में प्रदेश में सबसे अधिक किन्नू के बाग हैं। करीब 12,548 हैक्टेयर में किन्नू के बाग हैं। इसके ही हर वर्ष सिरसा के किसान करीब 30 हजार हैक्टेयर में सब्जियों की काश्त कर रहे हैं। इसी तरह से 1474 हैक्टेयर में अमरुद, 273 हैक्टेयर में बेर एवं 221 हैक्टेयर में आंवला की खेती हो रही है। अब करीब हर वर्ष करीब 300 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हो रहा है। अब किसान सब्जियों में आलू, प्याज, लहसून के अलावा ड्रेगन फु्रट, बेबी कोर्न, तरबूज आदि की भी खेती करने लगे हैं। किसान बागवानी, सब्जियों, मशरूम की खेती से मालामाल हो रहे हैं। अब परंपरागत फसलों के स्थान पर दूसरी फसलों की काश्त होने से भूमि की उर्वरा शक्ति में भी सुधार हो रहा है।

दरअसल गेहूं एवं कपास उत्पादन में अव्वल रहा सिरसा जिला अब सीट्रस के उत्पादन में भी सिरमौर बन गया है। सीट्रस वर्ग में आने वाले किन्नू एवं नींबू उत्पादन में सिरसा जिले ने नए आयाम रच दिए हैं। आलम यह है कि सिरसा जिले में पूरे प्रदेश का 55 फीसदी किन्नू का उत्पादन हो रहा है। पिछले 20 बरस में किन्नू उत्पादन का रकबा 4278 हैक्टेयर से बढक़र 12 हजार 548 हैक्टेयर तक हो गया है। उत्पादन भी 80 हजार मीट्रिक टन से बढक़र सवा 3 लाख 48 हजार हैक्टेयर तक पहुंच गया है। उद्यान विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार ही 2015 में जिले में 9450 हैक्टेयर रकबे पर 1 लाख 98 हजार 332 हैक्टैयर किन्नू का उत्पादन हुआ। पूरे राज्य में उत्पादन 3 लाख 2 हजार मीट्रिक टन रहा। सिरसा का किन्नू राज्य के अलावा पंजाब, राजस्थान, दिल्ली व चंडीगढ़ में बिकता है। इसी तरह से 2021 में 11392 हैक्टेयर में करीब 2 लाख 68 हजार 170 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। पूरे प्रदेश में 5 लाख 17 हजार मीट्रिक टन किन्नू का उत्पादन हुआ था। 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार सिरसा जिला में 12,548 हैक्टेयर में किन्नू, 273 हैक्टेयर में बेर, 1474 हैक्टेयर में अमरुद, 221 हैक्टेयर में आवंला के बाग हैं। अब बागवानी के साथ ही बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती किसान कर रहे हैं। हर साल करीब 185 हैक्टेयर में लहसून, साढ़े 700 हैक्टेयर में आलू, 305 हैक्टेयर में प्याज, 261 हैक्टेयर में टमाटर, 555 हैक्टेयर में गाजर, 1100 हैक्टेयर में गोभी व 600 हैक्टेयर में मूली की काश्त की जा रही है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर बेल वाली सब्जियों की काश्त भी किसान कर रहे हैं।

*कॉटन काऊंटी के रूप में है पहचान रखता है सिरसा*

दरअसल सिरसा पिछले काफी समय से गेहूं एवं कपास उत्पादन में पहले स्थान पर है। करीब 3 लाख 86 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि वाले सिरसा जिले में प्रदेश की 40 फीसदी कॉटन का उत्पादन होता है। पिछले कुछ अरसे से बागवानी की ओर से बढ़ रहे रुझान के चलते यहां किसान अब किन्नू की काश्त करने लगे हैं। पूरे राज्य में करीब 23 हजार हैक्टेयर क्षेत्र पर किन्नू के बाग हैं। इनमें से 40 फीसदी बाग अकेले सिरसा जिले में करीब 12,548 हैक्टेयर रकबे पर हैं। खास बात यह है कि कॉटन काऊंटी के रूप में प्रसिद्ध सिरसा, फतेहाबाद एवं हिसार जिलों की तिकड़ी अब सीट्रस के उत्पादन में लम्बी छलांग मार रही है। मसलन पूरे प्रदेश के 6 लाख हैक्टेयर में से हर साल इन 3 जिलों में 4 लाख 20 हजार हैक्टेयर रकबे पर कपास की खेती होती है। अब यही आलम किन्नू की खेती के लिहाज से है। पूरे राज्य में 21 हजार हैक्टेयर में से इन 3 जिलों में 16 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में किन्नू के बाग हैं। 2006-07 में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के आने के बाद सिरसा में बागवानी की खेती को बढ़ावा मिला। 66 में यहां कुछेक एकड़ पर बाग थे। 80 में बागों का रकबा 2 हजार हैक्टेयर था। 96-97 में 4278 हैक्टेयर जबकि 2001 में रकबा 5557 हैक्टेयर था। अब यह एरिया 10 हजार हैक्टेयर तक पहुंच गया है। कुछ भी हो परम्परागत फसलों का मोह त्याग बागवानी की ओर किसानों का रुझान होना एक अच्छा संकेत है।

इस सिलसिले में जिला बागवानी अधिकारी डा. पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि नवंबर से मार्च माह तक किन्नू की बागवानी होती है। इस तरह से अप्रैल से सितंबर तक किन्नू का किसान खाली रहता है। किसानों को साल भर खेती के जरिए मुनाफे का अवसर मिले, इसलिए खजूर, आडू, अमरुद व नाशपती की खेती पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में खजूर की खेती पर पौने तीन लाख से 3 लाख रुपए का खर्च आता है और सरकार 1 लाख 40 हजार रुपए का अनुदान देती है। एक एकड़ में 64 पौधे होते हैं, जिनमें 61 मादा व 3 नर शामिल हें। तीन साल में उत्पादन आना शुरू हो जाता है और खास बात यह है कि खारे पानी में भी खजूर की खेती की जा सकती है और एक एकड़ में 50 क्विंटल का उत्पादन हो जाता है।

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