Sirsa Haryana: नगरपरिषद चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद नेताओं में वार-पलटवार का सिलसिला तेज हो गया है। युवा भाजपा नेता अमन चोपड़ा ने नगरपरिषद चुनाव को लेकर कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने गठबंधन धर्म का निर्वहन करते हुए गोपाल कांडा का समर्थन किया था। ऐसे में अब भाजपा अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी। इस पर हलोपा नेता गोबिंद कांडा ने कहा कि उनका परिवार 1926 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा हुआ है। 1952 में उनके पिता सिरसा से चुनाव लड़ चुके हैं। गोबिंद कांडा ने तो यह भी आरोप लगाया कि सिरसा में पिता पुत्र जगदीश चोपड़ा एवं अमन चोपड़ा ने भाजपा का नुक्सान किया है। जो लोग भाजपा में आना चाहते हैं, उन्हें ये अपनी महत्वाकांक्षा के चलते आने नहीं देते हैं और इन दोनों पिता-पुत्रों ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन प्रत्याशी का बिल्कुल भी साथ नहीं दिया। दरअसल शहर की छोटी सरकार को लेकर 11 मार्च से 17 मार्च तक नामांकन प्रक्रिया होगी और 2 मार्च को मतदान होगा। पहली बार सिरसा में चेयरमैन पद का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होगा। शहर के 32 वार्डों में करीब 1 लाख 60 हजार मतदाता हैं। भाजपा पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वो सिंबल पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस की ओर से शुक्रवार का आयोजित बैठक में नगर निगम के चुनाव तो सिंबल पर लडऩे की सहमति बन गई, लेकिन नगरपरिषद एवं नगरपालिकाओं के चुनावों को लेकर बात अभी तक सिरे नहीं चढ़ी है। सिरसा नगरपरिषद का चुनाव इसलिए भी खास बन जाता है कि विधानसभा चुनावों के करीब सवा तीन माह बाद होने वाले नगरपरिषद के चुनाव कांग्रेस के विधायक गोकुल सेतिया के अलावा हलोपा के प्रत्याशी रहे गोपाल कांडा के लिए भी बड़ी चुनौती है। रोचक बात यह है कि गोपाल कांडा की हलोपा का भाजपा के साथ गठबंधन है और ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नप चुनाव में दोनों दल साथ मिलकर लड़ते हैं या नहीं। भाजपा की ओर से सागर केहरवाला, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष विनोद नागर, सुनील बामनियां, बलवंत शैली, देवराज मोयल, राज मट्टू एवं वीर शांति स्वरूप ने आवेदन किया है। इसी तरह से पार्षद पद के लिए भी 75 से अधिक आवेदन आए हैं।
नगरपरिषद चुनाव का बिगुल बजने के बाद अब सियासी शतरंज पर शह-मात का खेल तेज होता नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने सभी 32 वार्डों में प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं और बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। भाजपा की ओर से 10 लोगों ने चेयरमैन पद के लिए आवेदन किया है। कांग्रेस अभी खामोश है। ऐसा माना जा रहा है कि इनैलो इस चुनाव से दूरी बना सकती है। सिरसा नगरपरिषद के चुनाव लगातार लटकते रहे हैं। अक्तूबर 2021 में चुनाव होने थे और ऐसे में करीब सवा तीन साल विलंब से चुनाव होने जा रहे हैं।
पिछली बार 6 सीटों पर जीती थी हलोपा
अतीत के चुनावी पन्नों को खंगाले तो यहां इंडियन नैशनल लोकदल और कांग्रेस ने जोरदार टक्कर देखने को मिलती रही है। 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में अपना प्रभाव दिखाया था। पिछली बार 31 वार्डों में सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा ने 15 वार्डों में जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए 3 सीटों पर जबकि दो कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इसी तरह से गोपाल कांडा की हलोपा के 6 उम्मीदवार विजयी हुए थे। इनैलो को दो पर जीत मिली जबकि 3 आजाद पार्षद चुने गए थे। इस बार फिर से भाजपा पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहती है। दरअसल सिरसा जिला की सिरसा नगर परिषद और कालावाली नगर पालिका में सितंबर 2021 में होने थे। वार्डबंदी एवं अन्य जटिल प्रक्रियाओं के चलते हरियाणा के अन्य निकाय की तरह सिरसा और कालावाली में तय समय पर चुनाव नहीं हुए। हरियाणा के निर्वाचन आयोग की ओर से 2022 में मई महीने में 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिका के चुनाव घोषित किए गए थे। 19 जून को मतदान हुआ था और 22 जून को नतीजे आ गए थे। उस समय सिरसा और कालांवाली के अलावा कुरुक्षेत्र के थानेसर में भी चुनाव नहीं हो सका था।
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