Haryana: प्रशासन की आंखों मे धूल झोंक रहा यह बड़ा शिक्षण संस्थान

Haryana news: शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षण संस्थान आए दिन हो रहे सड़क हादसों के बावजूद भी सरकारी नियमों की परवाह न करते हुए प्रशासनिक आदेशों की धज्जियां उड़ाने में कसर नही छोड़ रहे हैं।हरियाणा के अन्य शहरों के साथ सिरसा जिला में ...

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Haryana news: शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षण संस्थान आए दिन हो रहे सड़क हादसों के बावजूद भी सरकारी नियमों की परवाह न करते हुए प्रशासनिक आदेशों की धज्जियां उड़ाने में कसर नही छोड़ रहे हैं।हरियाणा के अन्य शहरों के साथ सिरसा जिला में भी कई बार स्कूल बसों के हादसे हो चुके हैं हालांकि जिला प्रशासन की ओर से विशेष अभियान चलाकर कई स्कूलों का बारीकी से निरीक्षण किया गया तथा स्कूल संचालकों को सरकारी नियमों का पाठ भी पढ़ाया गया। इस प्रकार के कार्यक्रमों की भनक लगते ही कई स्कूल संचालकों ने अपनी कमियां छुपाते हुए प्रशासनिक कार्रवाई से तो बच गए मगर स्कूल बसों से होने वाले हादसों से नहीं बच पाए। पिछले महीनों में स्कूल बसों से कई हादसे हुए हैं जिनमें ज्यादातर गलतियां स्कूल बस चालकों की रही हैं तथा कुछ स्कूलों की बसें तो ऐसी भी हैं जो विभागीय नियम कायदों पर खरी नहीं उतर रही हैं। इन स्कूलों में कई ऐसी बसें भी चल रही हैं जो पिछले अढ़ाई वर्ष से सड़क पर दौड़ने के काबिल नहीं है और विभाग की ओर से उन्हें अनफिट घोषित किया गया है मगर ऐलनाबाद में डबवाली रोड स्थित एक बड़ा शिक्षण संस्थान धड़ल्ले से इन बसों को सड़कों पर दौड़ा रहा हैं और बच्चों की जान जोखिम में डालने के साथ साथ नियम कायदे कानून को ताक पर रख जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहा है।

विद्यार्थियों के लिए प्रयोग की जा रही है राजस्थान नंबर की बसें
जिला प्रशासन की आंखों में धूल झौंकते हुए शिक्षण संस्थान ने पड़ोसी राज्य राजस्थान नंबर की बसें परिवहन में लगा रखी है। हरियाणा में अनफिट हो चुकी बसों का जुगाड़ लगाकर राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करवा लिया है और अब हरियाणा में नियमों को ताक पर धड़ल्ले से स्कूल संचालक इन बसों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। विभागीय नियमों के अनुसार ये गाड़ियां स्कूली छात्र छात्राओं को लेकर नहीं चल सकती मगर ट्रेफिक पुलिस व परिवहन विभाग भी इन बसों व स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

 

*शिक्षण संस्थान ने जिम्मेदारी से बचने का निकाला नायब तरीका*

शिक्षण संस्थान की कुछ गाड़ियां तो ऐसी हैं जिनका कलर भी व्हाइट है और वे शिक्षण संस्थान के दस्तावेज में भी दर्ज नहीं है। इन गाड़ियों की फिटनेस, पॉल्यूशन, बीमा व पासिंग भी नहीं है। यदि इन गाड़ियों के साथ किसी प्रकार की कोई अनहोनी घटना हो जाए तो शिक्षण संस्थान के संचालक न्याय के दरबार में पाक साफ बच सकते हैं क्योंकि यह गाड़ियां उनके स्कूल से संबंधित नहीं है जबकि इन गाड़ियों पर शिक्षण संस्थान का नाम साफ साफ लिखा है मगर इन गाड़ियों से शिक्षण संस्थान यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह गाड़ियों तो अभिभावकों ने स्वयं लगाई है, इन गाड़ियों से शिक्षण संस्थान का कोई लेना-देना नहीं हैं। ट्रेफिक पुलिस की इन गाड़ियों पर भी मेहरबानी बनी हुई है। शायद कोई हादसा होने पर ही ट्रेफिक पुलिस नींद से जागेगी।

हादसा होने पर ही जागता है प्रशासन
निजी शिक्षण संस्थान में चलने वाली बसों का लेखा-जोखा परिवहन विभाग के पास मौजूद होता है तथा विभाग समय-समय पर गाड़ियों का निरीक्षण भी करता है इसके बावजूद भी फर्जी तौर पर गाड़ियों का सरे आम सडकों पर दौड़ना विभागीय लापरवाही की तरफ इशारा कर रहा है। संबंधित विभाग व जिला प्रशासन को बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले व जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने वाले शिक्षण संस्थान की सभी गाड़ियों की गहनता से जांच कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में होने वाले हादसों से बचा जा सके और नियमों की धज्जियां उड़ानें वाले शिक्षण संस्थान को सबक मिल सके।
कोट्स
शिक्षण संस्थान की बसों व विद्यार्थियों के उपयोग में आने वाली अन्य गाड़ियों का निरीक्षण किया जाएगा अगर गाड़ियां में किसी तरह की कोई कमी पाई गई या नियमों की अनदेखी पाई गई तो उचित कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।
सुभाष चंद्र, ट्रेफिक पुलिस इंचार्ज ऐलनाबाद।

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