डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत दो ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गया था: खोस
कांग्रेसी नेता मलकीयत सिंह खोसा के प्रतिष्ठान पर डॉ मनमोहन सिंह को दी श्रद्धांजलि
ऐलनाबाद की अनाज मंडी में सरदार मलकीयत सिंह खोसा के प्रतिष्ठान पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिला अध्यक्ष मलकीयत सिंह खोसा ने कहा उनकी ईमानदारी व सादगी की पूरी दुनियां कायल थी। आज भी उनके कार्यकाल को दुनिया याद करती है। उन्होंने कहा कि भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक दशक से अधिक समय तक अभूतपूर्व वृद्धि और विकास का नेतृत्व किया। डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने अपने इतिहास में सबसे अधिक वृद्धि दर देखी, जो औसतन 7.7% रही और लगभग दो ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गई। डॉ. सिंह के सत्ता में आने के बाद भारत दसवें स्थान से उछलकर 2014 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, जिससे लाखों लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठा।
डॉ. सिंह के भारत के विचार के मूल में सिर्फ़ उच्च विकास ही नहीं बल्कि समावेशी विकास और ऐसी लहरों का विश्वास था जो सभी नावों को ऊपर उठा सकें। यह विश्वास उन विधेयकों के पारित होने में निहित था, जिन्होंने नागरिकों को भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, काम का अधिकार और सूचना का अधिकार सुनिश्चित किया। डॉ. सिंह की अधिकार-आधारित क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की।
अभूतपूर्व विकास और समृद्धि की यह कहानी डॉ. सिंह के 2004-2014 के प्रधानमंत्री कार्यकाल की कहानी है। लेकिन इसकी शुरुआत 1991-1996 के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुई, जब पहली बार इसकी पटकथा आकार लेने लगी। जुलाई 1991 में, डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण का समापन इन शब्दों के साथ किया, “दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है। मैं इस सम्मानित सदन को सुझाव देता हूं कि दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उदय एक ऐसा ही विचार है।” यहीं से उनके भारत के विचार की शुरुआत हुई।
उन्होंने कहा कि यह वह दौर था जिसने भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर अग्रसर किया और डॉ. सिंह की एक नवोन्मेषी विचारक और प्रशासक के रूप में साख को भी चमकाया। हालांकि, डॉ. सिंह के विश्वासों और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके समर्पण की नींव उनके बीसवें दशक की शुरुआत और उनके करियर की शुरुआत में ही देखी जा सकती है।
इस मौके पर अमरपाल सिंह खोसा, हैरिसन विलियम, राधेश्याम मेहता, सुरेन्द्र धींगडा, विजय धानुका, शिव कुमार पांडिया, रूपराम कड़वासरा, कन्हैया लाल शर्मा, राज कुमार खत्री, सुखविंदर सिंह सामा, गुरभेज सिंह सरपंच, विनोद सोनी, दर्शन सिंह, प्रित जसस्ल, महेश धानुका सोनू शर्मा, रमेश आसेरी,ओम जी भांभू, हरबंस लाल कंबोज, कृष्ण लाल कस्वा, सतपाल सिंह खोसा, अजय सिंह रोड़, नवाब अली, प्रदीप ढुकिया, रोहतास भारी, रणजीत वर्मा मनदीप सिंह,साधू राम झोरड़, मनोज जिंदल, अशोक जिंदल व अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।