दुनिया के सबसे दौलतमंद खजाने की चमत्कारिक कहानी
यह दुनिया रहस्यों से भरी है। छिपे हुए खजानों की अनगिनत कहानियां हैं। ऐसा ही एक छिपा हुआ खजाना अब भारत के हाथ ला है। यह खजाना पूरे देश की तकदीर बदल सकता है। ये खजाना है लिथियम का। लिथियम को सफेद गोल्ड कहा जाता है। कुछ समय पहले ही भारत के जम्मू कश्मीर में लिथियम का एक भंडार मिला है। यह भंडार करीब 59 लाख टन है। माना जा रहा है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम का भंडार हो सकता है। इतनी भारी मात्रा में लिथियम मिलने से नॉन फेरस मेटल के क्षेत्र में अब भारत की निर्भरता दूसरे देशों से कम होने की उम्मीद है। ऐसे में सवाल है कि आखिर इससे देश को कितना फायदा मिलेगा? हमें और देश के करोड़ों लोगों को इसका क्या लाभ मिलेगा? इस भंडार के मिलने के बाद चीन भी परेशान है? आइए जानते हैं इन सब सवालों के जवाब इस वीडियो मेंज्.
दरअसल भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ तीन साल से जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के सलाल कोटली गांव में सर्वे कर रहे थे। खजाने की तलाश जारी थी। अभी कुछ समय पहले ही यहां पर 6 हैक्टेयर जमीन में 59 लाख टन लिििथयम का भंडार मिला। इतना बड़ा भंडार देखकर विशेषज्ञ भी हैरान रह गए। लीथियम खनिज भंडार का घनत्व भी बहुत अधिक है। यानी जिस क्षेत्र में यह खनिज पाया गया है, उसमें लीथियम को ज्यादा मात्रा में निकाला जा सकेगा।
इस खजाने की तलाश पूरी होने के बाद लीथियम की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद अब संभावना जताई जा रही है कि जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर बसे सलाल गांव के पहाड़ों में कई प्रकार के अन्य महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ हो भी सकते हैं। अब जानते हैं कि आखिल लिथियम होता क्या है। लिथियम एक तरह का रेअर एलिमेंट है। इसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत दूसरे चार्जेबल बैटरियों को बनाने में किया जाता है। लिथियम (रुद्ब) एक नरम और चांदी जैसी-सफेद धातु होता है। लिथियम का प्रयोग कई उत्पादों में किया जाता है और इसका भंडार मिलना भारत के लिए बड़ी क्रांति साबित हो सकती है। इसके अलावा लिथियम का इस्तेमाल थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शन में भी किया जाता है। लिथियम का इस्तेमाल एल्युमीनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्र धातु बनाने के साथ ही मिश्र धातुओं की क्षमता बढ़ाने में भी किया जाता है। मैग्नीशियम-लिथियम मिश्र धातु का इस्तेमाल कवच बनाने के लिए भी किया जाता है। एल्युमीनियम-लिथियम मिश्र धातु का इस्तेमाल साइकिलों के फ्रेम , एयरक्राफ्ट और हाई-स्पीड ट्रेनों में भी किया जाता है। मूड स्विंग और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल इस पूरे खजाने को तलाशने के लिए विशेषज्ञों ने तीन अलग-अलग स्तर के सर्वे करवाए गए। लीथियम उत्खनन में कितना समय लगेगा, यह इन सर्वे पर ही निर्भर करता है। विभाग की कोशिश है कि जल्द उत्खनन के लिए बचे हुए काम समय से पूरे हों। फिलहाल भारत 96 प्रतिशत लिथियम का आयात चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, चीन, अर्जेंटीना और बोलीविया से करता है। इतने बड़े पैमाने पर लिथियम के निर्यात से भारत की काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। लिथियम भंडार भारत में मिलने से भारत की विदेशी मुद्रा खर्च होने से तो बचेगी ही। साथ ही भारत लिथियम का निर्यात कर अपना राजस्व भी बढ़ा सकेगा। अब आपको बताते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक लिथियम किन देशों में पाया जाता है। लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में 93 लाख टन का है। ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन, अर्जेंटीना में 27 लाख टन और चीन में 20 लाख टन लिथियम उत्पाद किया जाता है। भारत चीन से सबसे ज्यादा लिथियम आयात करता है। जो पूरे आयात का 80 प्रतिशत है। साल 2020 -21 के बीच भारत ने लिथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वहीं साल 2021-22 में लिथियम के आयात पर 13,838 करोड़ रुपये खर्च किए थे। मौजूदा समय में एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है। भारत में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। ऐसे में आज के समय इसकी कीमत लगभग 3,384 अरब रुपए होगी। बता दें कि कमोडिटी मार्केट हर दिन मेटल की कीमत तय करता है। लिथियम का भंडार मिलने से देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिकल व्हीकल, एनर्जी, बैटरी बनाने वाली विदेशी कंपनियां भी आएंगी। इससे देश में ही रोजगार सृजन होगा। विशषज्ञों के अनुसार अगर भारत अपने भंडार से जरूरत के मुताबिक लिथियम का उत्पादन कर लेता है तो जाहिर है कि बैटरियों के दाम कम होंगे। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के दामों में भी कमी आ सकती है। खास बात यह है कि लिथियम के साथ ही सोने के 5 ब्लॉक भी मिले हैं। आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। 2020 से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा। भारत अपनी लिथियम-ऑयन बैटरियों का करीब 80त्न हिस्सा चीन से मंगाता है। भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया जैसे लिथियम के धनी देशों की खदानों में हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की युद्ध छेडऩे की एक प्रमुख वजह वहां धरती के नीचे छिपा वाइट गोल्ड यानी लिथियम का अकूत भंडार है। माना जा रहा है कि अगर इस भंडार का सही दोहन हो तो यूक्रेन लिथियम का सबसे ज्यादा रिजर्व वाला देश बन सकता है। खास बात ये है कि लिथियम का अधिकतर भंडार यूक्रेन के पूर्वी डोनबास इलाके में है।