अलविदा 2024 भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर कायम किया रिकॉर्ड
-2024 में संसदीय चुनाव व विधानसभा चुनाव के साथ हुए बड़े सियासी घटनाक्रम
हरियाणा में 2024 का साल सियासी नजरिए से बड़ा महत्वपूर्ण रहा। इस साल लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव हुए। पहली बार भाजपा ने हरियाणा के इतिहास में जीत की हैट्रिक लगाई। इसी साल मार्च में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव करते हुए भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चौ. ओमप्रकाश चौटाला का निधन हुआ तो ऐलनाबाद से अभय चौटाला एवं आदमपुर से भव्य बिश्रोई को अपने-अपने क्षेत्रों में लंबे अंतराल के बाद हार का सामना करना पड़ा। खास बात यह है कि नववर्ष आगमन को चार दिन का समय शेष रहा है और विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस विधायक दल का नेता भी नहीं चुन सकी है। अब देखना यह होगा कि लंबे समय से अधर में लटक रहे नेता पद का चयन कांग्रेस पार्टी इसी वर्ष में कर पाती है या इसका फैसला अगले वर्ष में होता है। इस साल जहां भाजपा ने तीसरी बार सरकार बनाई तो लगातार दूसरी बार कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल बनी। इनैलो के 2 विधायक चुने गए तो जजपा का ग्राफ नीचे गया तो लगातार तीसरी बार भी आम आदमी पार्टी हरियाणा में कोई प्रभाव नहीं छोड़ सकी। इस साल एक खास बात यह भी रही कि संसदीय एवं विधानसभा चुनाव के दौरान दलबदल का भी सिलसिला चला और कई बड़े नेताओं ने दलबदल किया। इनमें प्रमुख रूप से किरण चौधरी व उनकी बेटी श्रुति चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह, चौ. देवीलाल के बेटे चौ. रणजीत सिंह, डा. अशोक तंवर, नवीन जिंदल, रामकुमार गौतम, देवेंद्र बबली, अनूप धानक सहित अनेक नेता शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस साल 12 मार्च को प्रदेश में बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब ङ्क्षसह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। इससे पहले 26 अक्तूबर 2014 से लेकर इस साल 12 मार्च तक मनोहर लाल करीब साढ़े 9 वर्षों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस बड़े बदलाव के बाद ही साढ़े चार वर्षों से चला आ रहा भाजपा एवं जजपा का गठबंधन भी टूट गया। इसके कुछ समय बाद ही देश में संसदीय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी हो गई। 25 मई को प्रदेश की 10 संसदीय सीटों के लिए चुनाव हुए तो मनोहर लाल खट्टर को करनाल संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया गया। ऐसे में करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी हुआ। करनाल विधानसभा सीट से नायब ङ्क्षसह सैनी ने चुनाव लड़ा और वे दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। खास बात यह है कि 4 जून को आए संसदीय चुनाव के नतीजों में मनोहर लाल खट्टर सांसद चुने गए और 10 जून को उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास एवं ऊर्जा मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इस वर्ष में विशेष बात यह भी रही कि नायब सिंह सैनी पहली बार मुख्यमंत्री बने और मनोहर लाल खट्टर पहली बार केंद्रीय मंत्री बने।
संसदीय चुनाव में भाजपा कांग्रेस को 5-5 सीटों पर जीत मिली
विशेष बात यह है कि इस बार प्रदेश में मई में हुए संसदीय चुनाव में कांग्रेस ने 2019 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। भाजपा को करनाल, फरीदाबाद, गुरुग्राम, भिवानी एवं कुरुक्षेत्र में जीत मिली। इसी तरह से सिरसा, हिसार, सोनीपत, अंबाला व रोहतक में कांग्रेस को विजय मिली। चुनावों में भाजपा को 46.11 प्रतिशत तो कांग्रेस को 43.67 प्रतिशत वोट मिले। लोकसभा चुनाव में जजपा का ग्राफ काफी नीचे चला गया। जजपा को महज 0.87 प्रतिशत ही वोट मिले। इनैलो को 1.74 प्रतिशत जबकि आम आदमी पार्टी को 3.94 फीसदी वोट ही प्राप्त हुए। खास बात यह है कि हरियाणा के करनाल से सांसद चुने गए मनोहर लाल खट्टर, गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह व फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुज्जर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
48 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने रचा इतिहास
इस साल की विशेष सियासी घटना यह भी रही कि संसदीय चुनाव के कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा तीसरी बार सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। इस साल 5 अक्तूबर को मतदान हुआ और 8 अक्तूबर को नतीजे आए। चुनावी परिणामों ने भी सर्वे, अटकलों, एगिजट पोल को गलत साबित कर दिया। भाजपा ने चुनाव में इतिहास रचा। हरियाणा के 58 वर्षों में पहली बार किसी राजनीतिक दल ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। भाजपा को 39.94 फीसदी वोटों के साथ 48 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस के 37 विधायक निर्वाचित हुए। इनैलो को 2 सीटों पर जीत मिली और तीन आजाद विधायक निर्वाचित हुए। बसपा को 1.82 फीसदी तो इनैलो को 4.14 फीसदी वोट मिले। जजपा को केवल 0.90 प्रतिशत ही वोट हासिल हुए। ऐसे में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाई और तीन आजाद विधायकों ने भी उसे अपना समर्थन दिया। इससे पहले 2014 में भाजपा के 47 विधायक चुने गए तथा पहली बार अपने बलबूते पर हरियाणा में सरकार बनाई। 2019 में भाजपा के 40 विधायक निर्वाचित हुए और भाजपा ने जजपा एवं आजाद विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई।
अभय को मिली हार तो ढह गया भजनलाल का किला
खास बात यह है कि ऐलनाबाद से लगातार जीत का चौका लगाने वाले अभय चौटाला को इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार ऐलनाबाद से हार का सामना करना पड़ा। अभय चौटाला 2010 में उपचुनाव जीतकर ऐलनाबाद से पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वे 2014, 2019 और 2021 में विधायक बने थे। इस साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला को कांगे्रस के भरत ङ्क्षसह बैनीवाल ने पराजित किया। इसी तरह से पहली बार पूर्व मुख्यमंंत्री चौ. भजनलाल का किला आदमपुर भी ढह गया। भाजपा से चुनाव लड़ रहे चौ. भजनलाल के पौत्र भव्य बिश्रोई को कांग्रेस के चंद्रप्रकाश जांगड़ा ने चुनाव हराया। गौरतलब है कि आदमपुर विधानसभा सीट से 1967 से लेकर 2024 तक 14 सामान्य जबकि 4 उपचुनाव हुए। आदमपुर विधानसभा सीट के 58 वर्षों के सियासी सफर में 18 चुनाव में 16 बार भजनलाल परिवार को जीत मिली। यह अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। साल 1967 के विधानसभा चुनाव में हरि सिंह आदमपुर से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। आदमपुर से भजनलाल खुद 9 बार विधायक रहे। 1 बार उनकी पत्नी जसमा देवी विधायक चुनी गईं। 4 बार कुलदीप बिश्रोई विधायक बने। एक बार रेणुका बिश्रोई व एक बार भव्य बिश्रोई भी विधायक निर्वाचित हुए।
इस साल दुनिया से विदा हुए ओमप्रकाश चौटाला
इसी तरह से इस साल के अंत में एक दु:खदायी घटना हुई। 20 दिसंबर को पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनैलो सुप्रीमो चौ. ओमप्रकाश चौटाला का निधन हो गया। वे पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के बड़े नेताओं ने शोक जताया। 21 दिसंबर को चौटाला के पैतृक गांव तेजाखेड़ा स्थित फार्महाऊस पर उनका अंतिम संस्कार किया गया और तब से लेकर अब तक लगातार हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों से सभी दलों के बड़े राजनेताओं के अलावा अधिकारी व सामाजिक संगठनों के नेता शोक व्यकत करने तेजाखेड़ा फार्महाऊस पर पहुंच रहे हैं।