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तंबूओं में तैयार हो रहे ‘कामदेव’

तंबूओं में तैयार हो रहे ‘कामदेव’

तंबूओं में तैयार हो रहे ‘कामदेव’

 

शहर में आजकल बने मोबाइल शाही दवाखाना संचालक जमकर भोले-भाले लोगों तथा युवाओं को अपना शिकर बना रहे हैं तथा उनसे पैसे भी ऐंठ रहे हैं। सडक़ के किनारे तम्बुओं में बैठे नीम-हकीमों द्वारा देशी जड़ी-बूटी से असाध्य रोगों का शाॢतयां इलाज करने का दावा किया जाता है। इन तम्बूओं में बैठे नीम-हकीमों के पास न तो कोई डिग्री है और न ही कोई डिप्लोमा होता है, लेकिन अपने आपको पुस्तैनी हकीम बताकर लोगों को दोनों हाथों से सरेआम लूट जरुर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है, कि पूरे कोर्स के नाम पर हजारों रुपए ऐंठकर ये तंबू चालक उक्त स्थान से खिसक जाते हैं।

 

 

उसके बाद इलाज करने वाले लोग तथा युवा वर्ग अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद भी कोई पीडि़त खुलकर सामने नहीं आता है और न ही प्रशासन के द्वारा ऐसे शाही दवाखानों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है। सडक़ के किनारे लगे तंबूओं में बैठे नीम-हकीमों द्वारा सैकड़ों बीमारियों का ईलाज देशी जड़ी-बूटियों से करने का दावा किया जाता है और साथ में नब्ज दिखाने की भी फीस दस रुपए निर्धारित की गई है, अगर अंजाने में कोई व्यक्ति इनके चंगुल में फंस जाता है, तो वह बहुत कुछ गंवा बैठता है। इन लोगों का शिकार अधिकांश भटके हुए युवा तथा गरीब तबके के लोग बनते हैं। वैद्यजी के शाही दवाखाने में अंदर का दृश्य भी देखने लायक होता है, जिसमें हजारों छोटी-छोटी डिब्बियों में जड़ी-बूटियां भरी होती हैं और उनके साथ ही प्रसिद्ध बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियों जैसे दारा ङ्क्षसह, सलमान खान, धर्मेन्द्र, सन्नी दयोल, सुनील से_ी, संजय दत्त की फोटो लगी होती है, जिसमें उनके साथ वैद्यजी की भी फोटो होती है, जिसके माध्यम से दावा किया जाता है, कि उन्होंने अपने शरीर को उन्हीं की जड़ी-बूटियों से ही ऐसा बनाया है।

 

 

 

 

भोले-भाले ग्रामीण व भटके हुए युवा यहीं पर धोखा खा जाते हैं। लोगों की फांसने के लिए इन लोगों के पास एक विशेष एलबम तथा कुछ कागजातों की फोटोस्टेट होती है, जिसमें कई प्रसिद्ध हस्तियों के असाध्य रोगों को ठीक होने का विवरण तथा उनके हस्ताक्षर होते हैं, जिससे शिकार उनकी चुंगल मं आसानी से फंस जाता है। जब वैद्य को विश्वास हो जाता है, कि शिकार फंस रहा है, तो वे फोटो एलबम को उसके सामने रख देते हैं और दावा करते हैं कि देशी जड़ी बूटियों से असाध्य रोगों को ठीक करने का कार्य पुस्तैनी है, जो उन्हें विरासत में मिला है। उनके पूर्वज भी राजा-रजवाड़ों के समय उनका इलाज करते थे और वे एलबम में दिखाए गए फोटो में राजा-महाराजाओं के साथ खड़े व्यक्ति को अपना पूर्वज बताते हैं। शहर में तंबू लगाए बैठे शाही दवाखानों के वैद्यों से बातचीत की गई तो उन्होंने कई ऐसे असाध्य रोगों के इलाज का दावा कर डाला जो आज के युग में लाईलाज हैं। इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्यादा लोग मर्दानी ताकत के लिए आते हैं, जिनका कोर्स दो हजार से आठ हजार रुपए तक का है, जिसमें चांदी, सोना की भस्म भी शामिल हैं।

 

 

 

सैक्स समस्या को दूर करने के लिए शाही तिला तेल के दस ग्राम की कीमत चार सौ रुपए मांगी जा रही है, वहीं दस ग्राम बादशाही तेल की कीमत 150 रुपए मांगी जा रही है, जिसमें दावा किया जाता रहा है, कि इन तेलों में 185 से 300 तक की जड़ी-बूटियां मिली हुई हैं। मात्र आठ फूट के तंबू में सैकड़ों बीमारियों को ठीक करने का दावा किया जाता है और ठीक न होने पर पांच हजार रुपए ईनाम देने का भी आश्वासन दिया जाता है, लेकिन सोचने की बात यह है कि अगर आठ फूट के तंबूओं में सैकड़ों बीमारियों का ईलाज चुटकियों में हो सकता है तो सरकार को करोड़ों रुपए की लागत से अस्पताल तैयार करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

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