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1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों की जॉब सुरक्षा की आवाज गलियारों में चर्चा, अभी तक क्यों नहीं लागू हुआ

1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों की जॉब सुरक्षा की आवाज गलियारों में चर्चा, अभी तक क्यों नहीं लागू हुआ

मुख्यमंत्री नायब सैनी: सही फैसले, लेकिन क्रियान्वयन में देरी क्यों?

मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के त्वरित और सही फैसलों की प्रशंसा की जाती रही है। जब से उन्होंने पदभार संभाला है, उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनका लाभ भाजपा को चुनावी सफलता के रूप में मिला। तीसरी बार सरकार बनने और दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी गति थोड़ी धीमी होती दिखाई दे रही है।

कानून लागू करने में हो रही देरी
सबसे बड़ा उदाहरण 14 अगस्त 2024 को अधिसूचित जॉब सिक्योरिटी एक्ट है, जिसमें 1.2 लाख स्थायी कर्मचारियों को रिटायरमेंट तक नौकरी की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया। यह विधेयक विधानसभा से पारित हो चुका है और राज्यपाल की मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि, इस कानून को लागू करने में अड़चनें आ रही हैं।

कर्मचारियों की शिकायतें
दैनिक सवेरा और सोशल मीडिया पर विभिन्न विभागों के अस्थायी कर्मचारी अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। उनका कहना है कि जॉब सिक्योरिटी एक्ट का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है। सवाल यह उठता है कि जब कानून बन चुका है, तो इसे लागू करने में देरी क्यों हो रही है?

सरकार में बाधा डालने वाले कौन?
गलियारों में चर्चा है कि सरकार में कुछ लोग मुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे अधिकारियों और विभागाध्यक्षों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? एस्टेब्लिशमेंट ब्रांच में बैठे बाबू और विभागों के मुखिया आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं?

पत्रकारों को कैशलेस मेडिकल लाभ का इंतजार
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गत 16 नवंबर को पत्रकारों को कैशलेस मेडिकल लाभ देने की घोषणा की थी। यह फैसला भी अब तक क्रियान्वित नहीं हो सका है। इस देरी से पत्रकार और उनके परिवार परेशान हैं।

गलियारों में उठ रहे सवाल
गलियारों में यह चर्चा आम है कि मुख्यमंत्री की घोषणाएं और बनाए गए कानून अगर समय पर लागू नहीं होंगे, तो उनकी विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा। क्या मुख्यमंत्री के निर्देशों को विभागीय अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे? या फिर सरकार में ऐसी शक्तियां सक्रिय हैं जो योजनाओं और कानूनों को निष्प्रभावी बना रही हैं?

पुरानी सरकारों से तुलना
कुछ लोगों का कहना है कि चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री काल में इस तरह की लापरवाही संभव नहीं थी। तब अधिकारी और विभाग कानूनों और आदेशों को समय पर लागू करने में तत्पर रहते थे।

समस्या का समाधान कब?
यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के फैसलों को लागू करने में हो रही देरी उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रही है। अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

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